अपने लहू के छींटों को रंग बना कर मंच पर बिखेर देता है,
क्या खूब है यह पुतला भी बस कुछ लम्हों में ही दुनिया को आईना दिखा देता है,
कभी गिरता है तो कभी संभलता है दुनिया के दर्द को खुद में समा लेता है ,
कभी हँसता है तो कभी रोता है अनेकों रंग अपनी अदाओं से मंच पर बिखेर देता है
मगर जमाना इसे सिर्फ एक नाटक समझता है, उसे तडपता देख तालियाँ बजाता है और हँसता है,
वो क्या जाने हाल इस जख्मी परिंदे का जो सिर्फ अपने जख्मों के लिए मरहम ढूँढता है
यह रंगमंच है “प्रदीप” जिसका पर्दा जिन्दगी के साथ उठता है और मौत के साथ गिरता है,
प्रदीप सिंह
गांव –औच ,डाकघर –लाह्डू, तहसील – जयसिंह पुर, जिला – काँगड़ा , हिमाचल प्रदेश : 8894155669
Email: rana.pradeep83@gmail.com
अपने लहू के छींटों को रंग बना कर मंच पर बिखेर देता है,
क्या खूब है यह पुतला भी बस कुछ लम्हों में ही दुनिया को आईना दिखा देता है,
कभी गिरता है तो कभी संभलता है दुनिया के दर्द को खुद में समा लेता है ,
कभी हँसता है तो कभी रोता है अनेकों रंग अपनी अदाओं से मंच पर बिखेर देता है
मगर जमाना इसे सिर्फ एक नाटक समझता है, उसे तडपता देख तालियाँ बजाता है और हँसता है,
वो क्या जाने हाल इस जख्मी परिंदे का जो सिर्फ अपने जख्मों के लिए मरहम ढूँढता है
यह रंगमंच है “प्रदीप” जिसका पर्दा जिन्दगी के साथ उठता है और मौत के साथ गिरता है,
प्रदीप सिंह
गांव –औच ,डाकघर –लाह्डू, तहसील – जयसिंह पुर, जिला – काँगड़ा , हिमाचल प्रदेश : 8894155669
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