प्रदीप सिंह (चुन्नू) काँगड़ा |
सदियों बाद बारिश हुई मेरे घर पर
बादल तो कब से घुट रहे थे
भीगा था आंसुओं से बदन मेरा
वो से बारिश का पानी समझ रहे थे ,
वयां कर दिया हाल - ए- दिल उनसे हमने
वो इसे एक अच्छी कहानी समझ रहे थे ,
सोया उस रात तो कभी उठा नहीं
वो इसे शराब का नशा समझ रहे थे ,
जब उठा धुआं आसमान में मेरी चिता से
तो वो मुस्कुराकर वोल उठे
लगता है फिर से बादल बरसात के आ गए ..................................................
प्रदीप सिंह (एच . पी. यू. ) शिमला समर हिल I
जिला - काँगड़ा, गाँव -ओच
9459278609
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