वक़्त गुजर जाने के बाद वक़्त का एहसास होता है ,
अपनों के बिछुड़ जाने के बाद अपनों का एहसास होता है,
वक़त के हाथों से जिन्दगी इस कदर फिसल जाती हैं ,
चोट बाद मैं लगती है दर्द पहले शुरू हो जाता है ,
यूँ तो वक़्त के साथ -साथ हर रिश्ते बदल जाते हैं,
लेकिन उनमें से कुछ नासूर बनकर दिल को जख्मी कर जाते हैं,
पहले तो हम वक़्त को अपने पीछे भगाते हैं ,
फिर वक़्त हमें अपने पीछे भगाता है ,
जिन्दगी युहीं गुजर जाती है भागम -भाग मैं ,
और हमारी कोशिश युहीं बेकार जाती है .............................
प्रदीप सिंह (एच . पी . यू. -समर हिल ) शिमला I
प्रदीप सिंह (एच . पी . यू. -समर हिल ) शिमला I
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