बना लिया है मकां शीशे का पर दिल भी साफ़ रखना ,
दाग लग न जाये दोस्ती पर बस इतनी सी बात याद रखना ,
लिखी गई है कई गज़लें ,कई नज्मे दोस्ती पर ,
बस उनमें से एक गजल ,एक नज़्म याद रखना ,
बना लेना कितने ही रिश्ते शहर में जाकर तुम,
पर गाँव क़ी हर झोम्पड़ी, हर खेत याद रखना ,
दर्द चाहे कितना भी हो जुदाई का बस उसे सीने में दबा के रखना ,
आएगा एक बार फिर से मौसम बरसात का ,
बस आँखों में अपने आंसू बचा के रखना ,
अनजान है दिल मेरा शहरों से ,डरता है कहीं गुम न हो जाऊं ,
अगर कभी भूल से आ जाऊं तो मेरी पहचान याद रखना ,
अगर भूलना ही होगा तो मुझे भूल जाना ,बेशक ,
पर साथ गुज़ारा हुआ वो हर पल याद रखना...................................
प्रदीप सिंह (एच . पी . यू . ) शिमला - समरहिल |
दाग लग न जाये दोस्ती पर बस इतनी सी बात याद रखना ,
लिखी गई है कई गज़लें ,कई नज्मे दोस्ती पर ,
बस उनमें से एक गजल ,एक नज़्म याद रखना ,
बना लेना कितने ही रिश्ते शहर में जाकर तुम,
पर गाँव क़ी हर झोम्पड़ी, हर खेत याद रखना ,
दर्द चाहे कितना भी हो जुदाई का बस उसे सीने में दबा के रखना ,
आएगा एक बार फिर से मौसम बरसात का ,
बस आँखों में अपने आंसू बचा के रखना ,
अनजान है दिल मेरा शहरों से ,डरता है कहीं गुम न हो जाऊं ,
अगर कभी भूल से आ जाऊं तो मेरी पहचान याद रखना ,
अगर भूलना ही होगा तो मुझे भूल जाना ,बेशक ,
पर साथ गुज़ारा हुआ वो हर पल याद रखना...................................
प्रदीप सिंह (एच . पी . यू . ) शिमला - समरहिल |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें