जिंदगी को अब जीना सिख लिया है मैंने ,
भरी है ऊँची उडान इरादों क़ि ,सारा बादल पी लिया है मैंने ,
अब गिराऊँगा आंसू उस रेगीस्तान मैं ही जाकर ,
मोती के लिए समंदर बना दिया है मैंने ,
अब मेरा कोई दुश्मन नहीं है ,जो था उसका कतल कर दिया है मैंने ,
पकड़ कर हाथ हज़ारों के साथ सफ़र जिंदगी का शुरू कर दिया है मैंने ,
अब रास्ते भी खुश हैं और मंजिल भी, क्योंकि रास्तों को मंजिल से जो मिला दिया है मैंने ,
............................ प्रदीप सिंह (एच पी यू शिमला)
भरी है ऊँची उडान इरादों क़ि ,सारा बादल पी लिया है मैंने ,
अब गिराऊँगा आंसू उस रेगीस्तान मैं ही जाकर ,
मोती के लिए समंदर बना दिया है मैंने ,
अब मेरा कोई दुश्मन नहीं है ,जो था उसका कतल कर दिया है मैंने ,
पकड़ कर हाथ हज़ारों के साथ सफ़र जिंदगी का शुरू कर दिया है मैंने ,
अब रास्ते भी खुश हैं और मंजिल भी, क्योंकि रास्तों को मंजिल से जो मिला दिया है मैंने ,
............................ प्रदीप सिंह (एच पी यू शिमला)
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